आरती- श्री दुर्गाजी की

सभी देवी-देवताओ का आरती संग्रह

आरती- श्री दुर्गाजी की

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी!

तुमको निसदिन ध्यावत हरी ब्रह्मा शिवजी!!

मांग सिंदूर विराजत तिको मृगमद को!

उज्जवल से दौउ नयना, चन्द्र बदन निको!!

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै !

रक्तपुष्प गल माला, कठन पर साजे!!

केहरी वाहन राजत, खडग खपर धरी!

सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी!!

कानन कुंण्डल शोभित नासाग्रेह मोती!

कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति!!

शुम्भ-निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती!

धूम्र-विलोचन नयना, निशदिन मदमाती!!

चंड-मुंड संहारे, शोणित बिज हरे!

मधु कैटभ दऊ मारे, सुर- भयहीन करे!!

ब्रह्माण्डी रुद्राणी, तुम कमला रानी! आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी!

चौसठ योगिनी गावत नृत्य करत भेरो!!

बाजत ताल मृदंगा, और बाजत डमरू !

तुम हो जग की माता तुम ही हो भरता!!

भक्तन की दुक हरता, सुख सम्पति करता!!!

भुजा चार अति शोभित, खडग खापर धारी!

मनवंछित फल पावत, सेवत नर-नारी!!

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती!

(श्री) मालकेतु में राजत, कोटि रत्न ज्योति!!

(श्री) अम्बेजी की आरती, जो कोई गावे!

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे!

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